सुनों आज कुछ कहने का मन हैं जैसे झरने की तरह बहने का मन हैं समझ नही आता हर लम्हे तुम्हे महसूस करूं या गीत गजलों की तरह गुनगुनाता फिरूं ब...
गुज़ारिश/Guzarish
फुरसत के कुछ पल दे अपने मुझे आ बैठ वक़्त निकालकर किसी शाम मेरे पास कुछ लफ्ज़ ऐसे हैं जो तेरे इंतज़ार में डेरा डाले बैठे हैं लफ़्ज़ों को...
गुज़ारिश/Guzarish
Reviewed by The zishan's view
on
दिसंबर 19, 2020
Rating: 5

किसान हूं साहब मैं /Kisan hun sahab mai
किसान हूं साहब मैं अपना हक मांगने आया हूं मैं कोई आतंकी नही हूं मैं जो डर रहे हो किसान हूं साहब मैं मैं बड़ी दूर दूर से आया हूं अपनी फरि...
किसान हूं साहब मैं /Kisan hun sahab mai
Reviewed by The zishan's view
on
दिसंबर 06, 2020
Rating: 5

आबरू का पहरेदार -- AABRU KA PEHREDAR
गहना इज्ज़त का तुम्हारी हमेशा आखों पर रखूंगा पर्दा लिबास का कभी हटने नही दूंगा खुदगर्ज़ नही हूँ मै खुद्दार रहूंगा तुम्हारी आबरू का पहरेदा...
आबरू का पहरेदार -- AABRU KA PEHREDAR
Reviewed by The zishan's view
on
दिसंबर 01, 2020
Rating: 5

सदस्यता लें
संदेश
(
Atom
)