हिज़रत के नाम पे ज़िन्दगी नही गुज़ारेगें हम भला अपना वतन छोड़कर क्यों जाएगे हम खटकते हैं जिनकी आखों में रात और दिन कह दो उनसे इसी मुल्क के ब...
झूठ का बाज़ार - JHOOTH KA BAZAR
झूठ के बाज़ार में सच बोलना मुश्किल हो गया अब तो आवाज़ उठाना भी ज़ुल्म हो गया हर जुबां पर डर के ताले हैं और कलम पर बंदूक का पहेरा हो गया झ...
झूठ का बाज़ार - JHOOTH KA BAZAR
Reviewed by The zishan's view
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जुलाई 01, 2022
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गाँव की मिट्टी - GAON KI MITTHI
मेरे गाँव की मिट्टी मुझे अच्छी लगती हैं इस मिट्टी की खुशबु मुझे अच्छी लगती हैं शहर के गरीबों का फुटपाथ पर आसरा हैं मुझे गाँव की गज भर ज़मी...
गाँव की मिट्टी - GAON KI MITTHI
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जुलाई 01, 2022
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