टूटे पत्तो की तरह हो गए वे अब शाख पर नही जुड़ पाएंगे एक दिन तुम रूठ जाओगे और हम नही ...
मै जैसा हूं मुझको वैसा ही रहने दो mai jaisa hun mujhko waisa he rahne do
मैं जैसा हूं मुझको वैसा ही रहने दो अभी हाथों में कलम हैं थोडा और लिखने दो राहों में तुम मेरी पत्थर ना बिछाना दरिया हूं मैं पानी बनकर ...
मै जैसा हूं मुझको वैसा ही रहने दो mai jaisa hun mujhko waisa he rahne do
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जनवरी 13, 2020
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नफरत के इस दौर में जीना मुश्किल हो गया Nafrat k is dour me jeena mushkil ho gya
नफरत के इस दौर में जीना मुश्किल हो गया अब तो अहताज़ाज करना लाज़मी हो गया हर शाख पर उल्लू बैठा है हर गद्दी पर बैठा शख्स गद्दार हो गया ...
नफरत के इस दौर में जीना मुश्किल हो गया Nafrat k is dour me jeena mushkil ho gya
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जनवरी 13, 2020
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