मज़बूरी हैं तो बेधड़क होकर चले जाना ममतां की चादर बाप की पगड़ी से बढकर कुछ नही जानता हूं इश्क़ हैं बेशक तुमसे इश्क़ हैं वो इश्क़ जो इबा...
लिखता रहूं/Likhta rhun
लिखता रहूं तुम्हे मैं जिंदगी भर तुम वो ग़ज़ल बन जाओं मैं छोटा सा लेखक तो तुम हर्फ़ बन जाओ मैं कलम तो स्याही एहसासों की तुम बन जाओं फ़र्क ह...
लिखता रहूं/Likhta rhun
Reviewed by The zishan's view
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जनवरी 17, 2021
Rating: 5

कभी तुम यूं मिलों ऐसे /Kabhi tum yun milon aise
कभी तुम यूं मिलो ऐसे मिलें हो हम पहले से जैसे देख के मुझे यूं कतरा गए मानों कही मुझसे अचानक टकरा गए फिर शुरू हो यूं सिलसिला बातों का गर...
कभी तुम यूं मिलों ऐसे /Kabhi tum yun milon aise
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जनवरी 17, 2021
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