मै जैसा हूं मुझको वैसा ही रहने दो mai jaisa hun mujhko waisa he rahne do

 

मैं जैसा हूं मुझको वैसा ही रहने दो
अभी हाथों में कलम हैं थोडा और लिखने दो 
राहों में तुम मेरी पत्थर ना बिछाना 
 दरिया हूं मैं पानी बनकर आगे बढ़ जाऊंगा
प्यार बाटता हूं मैं एक व्यापारी बनकर 
नफरत नही फैलता मैं किसी के
 दरमियां में आग लगाकर
शहर की रोशनी तो नही मैं 
पर हल्की किरण ज़रूर हूं
तन्हाई में नही रहता मैं क्योंकि 
अपने आप में मैं खुद हूं
मैं जैसा हूं मुझको वैसा ही रहने दो
अभी हाथों में कलम है थोडा और लिखने दो |

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