भारत का मुसलमान - BHARAT KA MUSALMAN




सदियों से यही रहता आया हूं ।
जाने कितनी कुर्बानी देता गया हूं।
वतन के वास्ते ओढा कफ़न मैने भी 
फिर भी इसी मिट्टी में दफनाया गया हूं।
बेशक में तेरी नज़रों में बेईमान हूं।
जुर्म बस मेरा इतना है ।
में भारत का मुसलमान हूं ।

सर पर टोपी मेरे ना गवार गुज़रती है ।
चेहरे पर दाढ़ी मेरे दुश्मन दिखती है ।
हर टोपी वाला गद्दार नज़र आता है ।

हर दाढ़ी वाला तेरी नज़रों में आतंकी बन जाता है ।
पड़ती वतन को जब जब जरूरत मेरी ।
सबसे आगे रहबर बनकर चलता हूं ।
मत भूलो ये तुम में भी अम्बेडकर के संग।
 बनकर कलाम चला हूं ।
जुर्म बस मेरा इतना है।
में भारत का मुसलमान हूं।



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