कभी दिन ढलें तो कभी शाम लिखता हैं हर रोज़ एक नई पहचान लिखता हैं कभी सुबह तो कभी रात लिखता हैं ख़ामोशी से सारे जज़्बात लिखता हैं कभी माज़ी तो कभी...
आवारा परिंदा /Awara parinda
महफ़िल में ख़ामोश देखकर तुझे अजीब सा लग गया सब वाह -वाह कर रहे थे बस एक तू ख़ामोश रह गया सोचा पहली मर्तबा देखा हैं आखरी मर्तबा नही उसे एक नज़र...
आवारा परिंदा /Awara parinda
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अगस्त 10, 2021
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मुझे उम्मीद थी तेरे आने की /mujhe ummed thi tere aane ki
अपने वजूद का एक हिस्सा खुद से कैसे जुदा कर देता तुम्हे जाना था तुम चले गए मेरी दहलीज़ पार करके लेकिन मैंने अपना दरवाज़ा बंद न किया क्योंकि...
मुझे उम्मीद थी तेरे आने की /mujhe ummed thi tere aane ki
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अगस्त 10, 2021
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गुरबत के दिन /Gurbat ke din
कोई पास नही आया था मुझे रोता हुआ देखकर अपने भी किनारा कर गए थे मेरे हालात देखकर कभी मुझे देखते थे कभी मेरी बेबसी देखते थे लेकिन लौट जाते ...
गुरबत के दिन /Gurbat ke din
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अगस्त 10, 2021
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ज़ख़्म /Zakham
मेरे ज़ख़्म भरते -भरते उम्र यूं ही गुज़र जाएगी ज़िंदगी का क्या भरोसा कब रुक जाएगी धड़कने चल रही है जब तक कुछ सांसे बची हैं गुज़रते लम्हों के साथ...
ज़ख़्म /Zakham
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अगस्त 10, 2021
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तवील सफ़र /Taveel safar
बेशक़ सफ़र मेरा बहुत तवील हैं लेकिन मेरी ग़ुरबत देखकर अपना रास्ता मत बदल लेना मैं तो सिर्फ हालातों को लिखता हूं मेरा मुकद्दर तो सिर्फ मेरा खु...
तवील सफ़र /Taveel safar
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अगस्त 10, 2021
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वो मुझे इस तरह मिले /wo mujhe is trah mile
मैं चाहता हूं वो मुझे इस तरह मिलें कही दूर नीम की छाव तले मुस्कुराती हुई वो मेरे पास चली आए अपने होठों से कुछ गीत गुनगुनाए आसमां में बाद...
वो मुझे इस तरह मिले /wo mujhe is trah mile
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अगस्त 10, 2021
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