नई मोहब्बत में नया काम कर के देखते हैं
तुम्हारे वास्ते एक बार बदनाम होकर देखते हैं
सुना हैं तुम्हारी गली के लोग बहुत अजीब हैं
अगर यह सच हैं तो हम भी वहां जाकर देखते हैं
हमे पता हैं इश्क़ की तपिश बहुत तेज होती हैं
चलो कोई नही एक बार हम भी तप के देखते हैं
बहुत बदनाम हैं मोहल्ला क्या कसूर हैं उसका
पता नही क्यों लोग उसे आखं भर के देखते हैं
मुझे भी खुद पर बड़ा दम गुमान होने लगा हैं
कसम से जब भी वो मुझे पीछे मुड़ के देखते हैं
यह तुमने मुझ पर कौन सा जादू चला रखा हैं
बस सोते जागते हम तुम्हारे ही ख़्वाब देखते हैं
WRITE BY
ZISHAN ALAM
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