कुछ अक्षर ऐसे भी होते हैं
अदृश्य हैं मगर फिर भी
वर्तमान से जुड़े होते हैं
अतीत के पन्नो में
कल का अतीत
आज का भविष्य
वो पल तो पल के जज़्बात
जो बीत गए हैं
अतीत के पन्नों के साथ
अतीत के पन्नों में
कुछ अक्षर ऐसे भी होते हैं
अदृश्य हैं मगर फिर भी
वर्तमान में खोए होते हैं
दो पल बिताना सोचे थे
उसके संग
वर्तमान लेकर आया फिर
फिर से वे रंग
सांझा किया था उससे मगर
दिल था उसका षडयंत्र का शिकार
पत्थर की मूरत नही इंसान हैं मगर
अतीत नही ये वर्तमान हैं मगर
बात ना समझ पाए तो नादान हैं मगर
नही जुड़ पाएंगे अब हम उन पन्नों
के साथ
अतीत के पन्नों में
कुछ अक्षर ऐसे भी होते
अदृश्य हैं मगर वर्तमान में खोए होते हैं
Written by
Zishan alam zisshu
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