दिल की आवाज़ - DIL KI AAWAZ



काश इस दिल की भी कोई आवाज़ सुने
जैसे डूबते हुए को तिनके का सहारा मिले
अम्बर के सितारों की रोशनी में
किसी परी को इस दिल मे परवाज़ मिले

मेरे हर दर्द की दवा तुम बनकर आना
अब तक मांगी जो दुआ तुम बनकर आना
मेरे लफ़्ज़ों को भी अब नया अंदाज मिले
काश इस दिल की भी कोई आवाज़ सुने

सूरज बनकर मैं दिन भर उसको ढूंढता रहूंगा
वो सितारों की तरह रात में जगमगाती हुई आना
मैं चिरागों को बुझने नही दूंगा
वो भरोसा कर हमसफर बनकर चले आना

कब तक तन्हा तन्हा ज़िंदगी गुज़ारे हम
एक नए सफर का आगाज़ करे
अब जरूरी हैं इस दिल को कोई हमराज़ मिले
काश कोई इस दिल की भी आवाज़ सुने

Written by
Zishan alam zisshu

कोई टिप्पणी नहीं