नई सुबह का आगाज़ होना। Nai subha ka agaz hona


नई सुबह का आगाज़ होना
चिड़ियों का चहकना
मंदिर के शंक से अज़ान का 
जुल मिल जाना
नींद से बेदार होना 
कुछ नमाज़ अदा करने जाते
कुछ जाते बुत खाना
वो ताजी हवाए 
हरी भरी घास पर ओस का गिर जाना
उगते हुए सूरज की किरणें 
धरती पर पड़ना 
सुबह का ढल जाना
दोपहर का हो जाना
थोड़ी थकावट भरी दोपहरी
जिम्मेदारीयां झंझोड़ती बारी बारी
सूरज ढलने को जाता 
शाम होने को आता
फिर वही रीत की नाड़ी
अपने बसेरे पर चलने की तैयारी
नींद की बाहों में सुहाना सफर
तय करते हुए 
फिर से नई सुबह का आगाज़ होना
Written by
Zishan alam zisshu


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