पुरानी मोहब्बत - PURANI MOHBBAT

 


पुरानी मोहब्बत को नई अफवाहों से मत जोड़ो
ये दो दिलो का संगम हैं इसे ऐसे ही मत छोड़ो
साथ मिलकर खाई थी तुमने जो कसमे 
ये जन्म जन्म का साथ हैं इसे पल भर में मत तोड़ो

बिन तेरे ये सफ़र मुक़म्मल कहां हैं 
मुक़म्मल हो भी गया तो तू साथ कहां हैं 
मैं अकेले चल रहा हूं तन्हा तन्हा
इन सुनसान राहों पर मुझ अकेले को मत छोड़ो

महज़ एक दो दिन का नही हैं ये सफर
इस सफर पर नही हूं मैं बेफिक्र
बेफिक्र हो भी जाऊं कैसे तू ही बता 
यादों की जंज़ीर से जकड़ा हूं इसे मत तोड़ो 

Write by zishan alam

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