पुरानी मोहब्बत को नई अफवाहों से मत जोड़ो
ये दो दिलो का संगम हैं इसे ऐसे ही मत छोड़ो
साथ मिलकर खाई थी तुमने जो कसमे
ये जन्म जन्म का साथ हैं इसे पल भर में मत तोड़ो
बिन तेरे ये सफ़र मुक़म्मल कहां हैं
मुक़म्मल हो भी गया तो तू साथ कहां हैं
मैं अकेले चल रहा हूं तन्हा तन्हा
इन सुनसान राहों पर मुझ अकेले को मत छोड़ो
महज़ एक दो दिन का नही हैं ये सफर
इस सफर पर नही हूं मैं बेफिक्र
बेफिक्र हो भी जाऊं कैसे तू ही बता
यादों की जंज़ीर से जकड़ा हूं इसे मत तोड़ो
Write by zishan alam
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