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ख़्वाबों तक महदूद होती तो सब कुछ ठीक था 
मगर अब वो हक़ीक़त में लाहमदुद सी रहती हैं!








 



आस्तीन का सांप बनकर आखिर उसने भी ज़हर उगल दिया
नादान था मैं आस्तीन में पाला उसे और वो मुझे डस गया !!








मुख्तसर से पन्नो की कहानी हूं मैं
एक बार पढ़ ले मुझे तो मुज़बानी हूं मैं
पढ़ते पढ़ते गर छलक गया आसूं तेरा 
तो समझ लेना तेरी आंख का पानी हूं मैं!!





मैं ग़मो का समंदर बन गया और फस गया मझधार में
तेरे सिवा कोई नही जो मेरी कश्ती को किनारे लगा दे मौला!!






पहले उसके हाथों को मेहंदी से सजाया होगा
तब कहीं जा के उसे लाल जोड़ा पहनाया होगा!!




 

तुम जा रहे हो तो बेशक़ चले जाओ
लेकिन इतना याद रखना
हर दिन इंतज़ार रहेगा तुम्हारा!!



 



ख़्वाब अगर मुक़म्मल हैं तो उसकी ताबीर कर
बीच में टूट गया तो उसकी तामीर कर !!!




 
झुकता हैं जब सर सज्दे में खुदा के आगे 
रूह को एक सुकून सा मिल जाता हैं !!


 

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