Pray for Covid 19



नज़ारा ये ज़मी का वीरान हैं
जिधर देखे तबाही औऱ बेजान हैं
देखकर ये मंज़र आसमान भी हैरान हैं
हम गुन्हेगारों को बख़्स दे मेरे मोला 
तेरे नबी की उम्मत बहुत परेशान हैं

हर तरफ लाशें देखी नही जाती 
हर तरफ से चीखों की आवाज़े सुनी नही जाती 
जहां देखे अंधेरा ही अंधेरा छाया हैं
तेरे सिवा नही कोई आसरा हैं
तू रूठा हैं तो बेचैनी ही बेचैनी हैं
इस आलम ने तेरी एक ना मानी हैं
बेबस हो गए दुनिया के तमाम हाकिम
बस तू ही एक कदरदान हैं
तेरे नबी की उम्मत बहुत परेशान हैं

सारी फरियाद तुझ से शुरू तुझ पर खत्म हैं
तू ही सबका मालिक हैं तू ही हमदम हैं
तेरे एक इशारे से रोशन ये जहां हो जाएगा 
इन काली रातों में भी एक जुगनू सा चमक जाएगा 
हर अफसुर्दा चेहरा फिर से चहक जाएगा 
इन अंधेरों को मिटाकर नया सवेरा हो जाएगा 
हर रोज़ डर डर कर नही जिया जाता 
हम गुन्हेगारो को बख़्स दे मेरे मोला
मायूस ये जिशान  हैं
तेरे नबी की उम्मत बहुत परेशान हैं

Written by 
zishan alam
Zishanalam9760@gmail.com







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