माज़ी की किताब /Mazi ki kitab

जून 26, 2021
सोचता हूं  माज़ी की किताब  को फिर से खोल लूं  जो लिखे थे कुछ अल्फाज़ उनकी याद में  उन्हें फिर से दोहरा लूं  माज़ी की किताब  में कुछ पन्ने ऐसे ...

रिश्ते /Rishtey

जून 26, 2021
रिश्ते  मुझे हर तरह से निभाने आते हैं  टूटते  रिश्तों  को मुझे बचाने आते हैं टूटने लगता हैं गर  रिश्ता  कोई मेरा  झुक कर मुझे उन्हें संभालने...

कच्चा मकान /Kaccha makan

जून 19, 2021
ये बारिश की बूंदे  मुझ से कुछ कहती हैं मुझे अपने पास बुलाती हैं ऐसा लगता हैं  मुझे अपने में  समाना  चाहती हैं मन तो मेरा भी बहुत करता हैं मै...

बंदिशें / Bandishe

जून 19, 2021
मुंतज़िर हूं मैं तुम्हारा  तुम जल्दी लौट कर आना  गरज़ते बादलों को देखकर  कहीं ठहर मत जाना  ये बादलों का गरजना  बिजलियों का चमकना  हवा के झोंके...

मुश्किलों में हँसने का हुनर / Mushkilon me hasne ka hunar

जून 19, 2021
मुश्किलों में मुस्कुराने का हुनर  जानता हूं मैं इसलिए  मुश्किलों  को खुद पर  हावी  नही होने देता हूं मैं चादर  हैं जितनी मेरी  ख़्वाब  उतने द...

तुम्हारे लिए /Tumhare liye

मई 08, 2021
सोचता हूं   किस तर्ज़ से लिखूं तुम्हारे लिए   या ठीक वैसे लिखूं जैसे तुम मुझे मिले थे   सोचता हूं   सुनहरे सुनहरे शब्दों में लिखूं तुम्हार...

ढलता सूरज /Dhalta suraj

मई 06, 2021
लिखना छोड़ दूं मैं  बाज़ नही आऊंगा  कोई ढलता सूरज हूं जो नदी  में डूब जाऊंगा  मुझे मालूम हैं  अज़ीयतें मेरे हक़ में लिखी जा सकती हैं मगर कोई ...

महज़ तुम / Mahaz tum

अप्रैल 30, 2021
मेरे एहसासों  का एक प्यारा सा एहसास  हो तुम  मेरे ख्यालों का एक खुबसूरत सा ख्याल हो तुम  मेरे ख्वाबों का मुकम्मल ख्वाब हो तुम  टूटे ख्वाबों ...

kora kagaz /कोरा कागज़

अप्रैल 03, 2021
मैंने हर्फों की शक्ल में तुम्हे लिख दिया हैं ख्यालों के दरिया से लफ़्ज़ों को निकालकर कोरे कागज़ पर बिखेर दिया हैं कोरा कागज़  हैं  खाली पन्ने ह...

हुनर /Hunar

जनवरी 23, 2021
बड़ा अजीब हुनर  हैं ये उनका  बातों बातों में यूं रो देने का  बहाना ढूँढ़ते रहते हैं वो अक्सर  हमे भी रुलाने का  वरना हमे शौक कहां हैं खामखाँ ...

लिखता रहूं/Likhta rhun

जनवरी 17, 2021
लिखता रहूं तुम्हे मैं जिंदगी भर  तुम वो ग़ज़ल बन जाओं  मैं छोटा सा लेखक तो तुम हर्फ़ बन जाओ  मैं कलम तो स्याही एहसासों की तुम बन जाओं  फ़र्क ह...

तेरे बगैर /Tere bagair

जनवरी 14, 2021
तेरे बगैर हम दुनिया को वीरान लिखेगें  तन्हा खुद को राहों को सुनसान लिखेंगे  वही लहजा वही जज़्बात वही कलाम लिखेंगे  एक खत और हम तेरे नाम लिख...

गुज़ारिश/Guzarish

दिसंबर 19, 2020
फुरसत के  कुछ पल दे  अपने मुझे  आ बैठ वक़्त निकालकर  किसी शाम मेरे पास  कुछ लफ्ज़ ऐसे हैं जो तेरे इंतज़ार में  डेरा डाले बैठे हैं  लफ़्ज़ों को...
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