सदियों से यही रहता आया हूं । जाने कितनी कुर्बानी देता गया हूं। वतन के वास्ते ओढा कफ़न मैने भी फिर भी इसी मिट्टी में दफनाया गया हूं।...
कभी सोचा ना था - KABHI SOCHA NA THA
एक बंजारे से इश्क करने वाला मिलेगा कोई कभी सोचा ना था । फासले दिन पर दिन कम भी होंगे यह कभी सोचा ना था । मेरे दिल और दिमाग़ पर ...
कभी सोचा ना था - KABHI SOCHA NA THA
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मई 18, 2020
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Pray for Covid 19
नज़ारा ये ज़मी का वीरान हैं जिधर देखे तबाही औऱ बेजान हैं देखकर ये मंज़र आसमान भी हैरान हैं हम गुन्हेगारों को बख़्स दे मेरे मोला तेर...
Pray for Covid 19
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अप्रैल 20, 2020
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सिलसिले उदास उदास शामों के
उदास उदास शामों के ...
सिलसिले उदास उदास शामों के
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अप्रैल 20, 2020
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एक बार ही सही तू आ तो सही - EK BAR HE SAHI
एक बार ही सही तू आ तो सही तुझे देखने को मन करता हैं तुझे सुनने को जी चाहता हैं सुन ले आवाज़ मेरी रो रहा हूं मैं दिल मायूस...
एक बार ही सही तू आ तो सही - EK BAR HE SAHI
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अप्रैल 12, 2020
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किसी के होठों की मुस्कान - KISI KE HOTHON KI MUSKAN
किसी के होठों की मुस्कान हमारी पहचान बनती है । मगर उनकी चुप्पी सीधा हमारे दिल से सवाल करती है । किसी की एक मुस्कान से अपनी...
किसी के होठों की मुस्कान - KISI KE HOTHON KI MUSKAN
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अप्रैल 07, 2020
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तन्हाई तू भी बोल कभी - TANHAI TU BHI BOL KABHI
दिल के सन्नाटे खोल कभी । सारे बंधन तोड़ अभी । तन्हाई तू भी बोल कभी । अकेला पन चुनता रहता है । क्यों रिश्तों से दूर रहता है । ज...
तन्हाई तू भी बोल कभी - TANHAI TU BHI BOL KABHI
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अप्रैल 07, 2020
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सिलसिला चाहत क - SILSILA CHAHAT KA
बातों बातों में जो बात ढल गई । वो अब लफ़्ज़ों में आ गई । सिलसिला ऐसा हुआ बातों का । रात भर शम्मा सी जल गई । किन लफ़्ज़ों में लिखू अपने ...
सिलसिला चाहत क - SILSILA CHAHAT KA
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अप्रैल 07, 2020
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कभी कभी - KABHI KABHI
कभी कभी खुद पर हँसी कभी गुस्सा आता हैं बस इस जहां को हँसाने को जी चाहता हैं अक्सर छुपा लेता हूं गमों को किसी कोने में कभी कभी हाल ए दिल बय...
कभी कभी - KABHI KABHI
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मार्च 31, 2020
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अतीत के पन्नो से Ateet k panno se
अतीत के पन्नों से कुछ अक्षर चुरा लाया हूं बीते लम्हो को वर्तमान में ले आया हूं अदृश्य हैं कुछ अक्षर मगर उनको भविष्य में जोड़ने आया हूं...
अतीत के पन्नो से Ateet k panno se
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मार्च 31, 2020
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दर्द कागज़ पर -DARD KAGAZ PAR
दर्द कागज़ पर मेरा बिखरता रहा कलम सखी बनकर साथ मेरा देता रहा परेशां हाल था मैं बस रात भर लिखता रहा उड़ान भर रहे थे सब आसमान की मैं बस सूरज...
दर्द कागज़ पर -DARD KAGAZ PAR
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मार्च 30, 2020
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फिर उनकी याद आई- FIR UNKI YAAD AAYE
बातों-बातों में उदासी सी छा गयी लबों पर खामोशी आँखे भर आयी चाहता का समंदर था किनारे से थी रुसवाई फिर उनकी याद आयी फिर उनकी याद आ...
फिर उनकी याद आई- FIR UNKI YAAD AAYE
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मार्च 25, 2020
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